- आम तौर पर छह कारणों से रिफंड मिलने में देरी होती है
Moneybhaskar.Com
Nov 09,2019 01:41:42 PM ISTनई दिल्ली. आयकरदाताओं को रिफंड को लेकर कई बार समस्या आ जाती है। वे इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) तो फाइल कर देते हैं, लेकिन उनके रिटर्न की प्रोसेसिंग में देरी होती है। इसके कारण उन्हें रिफंड भी साधारण समय सीमा के भीतर नहीं मिल पाता है। टैक्स4वेल्थ के फाइनेंशियल कोच हिमांशु कुमार के मुताबिक छह कारणों से रिफंड मिलने में देरी होती है। यदि आप इन छह बातों का ध्यान रखेंगे तो आपको जल्दी रिफंड मिल सकता है।
1. आखिरी समय में फाइल किए गए रिटर्न की प्रोसेसिंग में लगता है अधिक समय
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अधिकतर रिटर्न आखिरी समय में यानी, आखिरी दो-तीन दिनों में फाइल किए जाते हैं। इस दौरान फाइल किए गए रिटर्न की प्रोसेसिंग में अधिक समय लगता है। नई प्रणाली में 30-90 दिनों की अवधि में रिफंड मिल रहा है। लेकिन आखिरी समय मे रिटर्न फाइल करने पर प्रोसेसिंग टाइम बढ़ जाता है।
2. आईटीआर के वैरिफिकेशन के लिए प्रिंट कॉपी भेजने पर भी प्रोसेसिंग टाइम बढ़ जाता है
सेंट्रल प्रोसेसिंग सेंटर (सीपीसी) में वैरिफिकेशन के लिए बहुत सारे लोग एकनॉलेजमेंट का प्रिंट निकालकर स्पीड पोस्ट से सीपीसी को भेज देते हैं। कुरियर से भेजने पर यह स्वीकार नहीं किया जाता है। रिटर्न तो आपने समय पर फाइल किया, लेकिन आपने हार्ड कॉपी भेज दी। हार्ड कॉपी भेजने के कारण भी प्रोसेसिंग में अधिक टाइम लग जाता है। इसके कारण भी रिफंड में देरी हो जाती है।
3. टैक्स फाइल करने में कोई खामी रह जाने से भी हो सकती है देरी
आपके रिटर्न फाइल करने की प्रक्रिया में कोई एरर हो सकता है। इसके लिए आपको मेल भी आ सकता है। ऐसे मामले में प्रोसेसिंग में अधिक समय लगता है और इसके कारण रिफंड मिलने में देरी होती है। ऐसे मामले में आयकरदाता को रेक्टिफिकेशन फाइल करना पड़ता है। इसके बाद ही उसके रिटर्न की प्रोसेसिंग हो सकती है और उसके बाद ही रिफंड मिल सकता है।
4. फॉर्म-16 या 26एएस से मिलान न हो पाने से भी होगा विलंब
फॉर्म-16 या 26एएस के आंकड़े से मिसमैच होने से भी आईटीआर की प्रोसेसिंग नहीं हो पाती है। हो सकता है कि आपका टीडीएस कटा था। जब आपने या किसी प्रोफेशनल ने रिटर्न फाइल किया, तो उसमें आप या पेशेवर 26एएस के आंकड़े को कैप्चर नहीं कर पाए। इसके कारण आंकड़ों में मिसमैच होगा और इसके कारण भी प्रोसेसिंग टाइम बढ़ जाएगा।
5. बैंक अकाउंट के गलत विवरण भी बन सकते हैं समस्या का कारण
कई बार हम गलत बैंक डिटेल डाल देते हैं या आईएफएससी कोड गलत डाल देते हैं। या किसी अन्य तरह की खामी रह गई। कई बार जब असेसी बैंक का विवरण नहीं देता है, तो रिटर्न भरते समय पेशेवर उस जगह पर 123456 लिख देता है। यह आम तौर पर होता है। इसका कारण यह है कि लोग अपना बैंक डिटेल नहीं देना चाहते हैं। ऐसे में रिफंड को लेकर आयकरदाता के पास मेल आता है। उसके बाद वे बैंक के विवरण देते हैं। इसके कारण भी रिफंड में देरी होती है।
6. आप अपना रिटर्न वैरिफाई नहीं करते तब भी विलंब होगा
आपने रिटर्न समय पर फाइल कर दिया। आपने बाकी बातों का भी खयाल रखा। लेकिन हो सकता है कि आपने आईटीआर का वैरिफिकेशन नहीं किया। जब तक आप वैरिफाई नहीं करेंगे, आपका रिटर्न प्रोसेस नहीं होगा। यानी, जो आईटीआर आपने दाखिल किया है, उसको वैरिफाई करना आवश्यक है। यह भी रिफंड मिलने में देरी का कारण बन सकता है।
ये छह गलतियां नहीं करने के बाद भी रिफंड नहीं मिल रहा है, तब ये करें?
सबसे पहले इनकम ई-फाइलिंग वेबसाइट पर जाएं। गूगल पर इनकम टैक्स ई-फाइलिंग सर्च करें और उस वेबसाइट पर जाएं। साइट पर लॉगइन आईडी और पासवर्ड डालें। लॉगइन में आपको पैन नंबर डालना है। पासवर्ड यदि आपको नहीं पता है, तो जिसने आपका रिटर्न फाइल किया है, उससे वो पासवर्ड ले लें। आप पासवर्ड रीसेट भी कर सकते हैं। पासवर्ड डालने पर सारी चीजें स्क्रीन पर आएंगी। इसके बाद आप ई-निवारण टैब पर जाएं। उसमें ग्रीवांसेज का एक टैब मिलेगा। उसमें जाएं और सबमिट करें। स्क्रीन पर एक पेज ओपन होगा। उसमें सारे कॉलम भरे होते हैं। आपको सेलेक्ट करना होता है कि आपकी समस्या क्या है। उसमें बहुत तरह की श्रेणी होती है। बहुत लंबा ड्रॉप डाउन होता है। उसमें सेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग यूनिट का एक विकल्प होता है। उसमें सब-कॉलम में रिफंड का ऑप्शन होता है। उसके भी सब-कॉलम में 6-7 तरह की श्रेणियां होती हैं। आपकी जो भी समस्या है आप उसे सेलेक्ट करें। इस तरह से आप सरकार से अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। इसके बाद आमतौर पर 7-12 दिनों में आपको जवाब आ जाता है। आपका रिफंड प्रोसेस भी हो जाता है।
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